स्वच्छ भारत मिशन 2022
Short Info:- स्वच्छ भारत मिशन 2022 यदि इस योजना के ऐतिहासिक परिदृश्य में बात करे तो 1986 के केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम,1999 के टोटल सेनिटेशन कैंपेन एवं 2012 के निर्मल भारत अभियान से परिवर्द्धित एवं सुस्पष्ट कार्यक्रम है।
और इसके अंर्तगत घर,समाज और देश में स्वच्छता को
जीवनशैली का अंग बनाने के लिये,सार्वभौमिक साफ-सफाई का यह अभियान 2014 में शुरू किया गया। जिसे 2 अक्तूबर, 2019 (बापू की 150 वीं जयंती) तक पूरा कर लेना है।
अब यदि थोड़ा ये बात कर ले कि यह मिशन क्यों ज़रूरी
है?साफ-सफाई की बुनियादी सुविधा से वंचित, खुले में शौच करने वाले विश्व के लगभग 60 प्रतिशत लोग सिर्फ भारत में हैं। अन्य बीमारियों के साथ ही इस अस्वच्छता के कारण भारत उन देशों की श्रेणी में भी है, जहाँ पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
अब यदि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़े बताते हैं कि देश के शहरों और कस्बों में प्रतिदिन उत्पादित होने वाला एक-तिहाई कचरा सड़कों पर ही सड़ता है।आपको बता दे कि केवल चार बड़े महानगरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता) में प्रतिदिन 16 बिलियन लीटर गंदा पानी पैदा होता है।
स्वच्छ भारत मिशन 2022 का महत्त्व
1-स्वच्छ भारत मिशन 2022 शौचालयों की उपलब्धता के कारण ‘स्वच्छ भारत अभियान’ देश में बालिका शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है।
2-स्वच्छता के ‘राज्य विषय’ होने के बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा तैयार व संचालित इस कार्यक्रम से संघीय ढाँचा सशक्त हो रहा है।
इस अभियान से सिर पर ‘मैला ढोने की प्रथा’ के उन्मूलन का वृहद् प्रयास मील का पत्थर साबित हो रहा है।
3-यह अभियान हजारों सालों से चली आ रही खुले में शौच की आदत में परिवर्तन व स्वच्छता को जीवनशैली का अंग बना रहा है।
4- इस योजना के अंर्तगत 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य, विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार का बड़ा अवसर साबित हुआ है।
5-इस योजना को मनरेगा से जोड़कर, मनरेगा कार्यक्रम की जीर्ण-शीर्ण दशा को भी सुधारा गया है।
6-ग्रामीण सेनेटरी मार्ट (RSM) का क्षेत्र व्यापक हुआ है।
7-सुलभ शौचालयों में अभी 50,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं।
8-यह एक बड़ा रोज़गार बन सकता है।
9-सैनिटरी पैड (महिलाओं, बच्चों से संबंधित) का बाजार भी व्यापक हो सकता है।
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