सहकारी बैंक उन्मुख हुआ व्यवसायीकरण की ओर 2022:
Short Info:-हाल ही में आरबीआई के द्वारा शहरी सहकारी बैंकों के व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा को दोगुना करने के लिए कदम उठाया है। इसके साथ ही ग्रामीण सहकारी बैंकों को आवासीय रियल एस्टेट को फाइनेंस करने की अनुमति प्रदान की है। आरबीआई का यह कदम रियल एस्टेट की दुनिया में क्रेडिट फ्लो बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
बिंदूवार चर्चा!
✓2011 में शहरी सहकारी बैंकों और 2009 में ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए संशोधन किया गया था। तब से लेकर अब तक घरों की कीमतों में वृद्धि हुई है।
✓व्यक्तिगत आवास ऋण को व्यक्ति की टियर 1 पूंजी के निश्चित अनुपात के रूप में लिंक किया जा सकता है। इससे बैंकों का जोखिम कम हो जाएगा।
✓ग्रामीण सहकारी बैंकों में आने वाले राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय बैंक के लिए मानक है कि वे वाणिज्यिक रियल एस्टेट परियोजनाओं को कुल संपत्ति के 5% तक का ही कुल हाउसिंग फाइनेंस कर सकते हैं। यह तर्कसंगत भी है।
✓शहरी सहकारी बैंकों ने व्यवसाय को बढ़ाया जरूर है, लेकिन विफलताओं के कारण जमाकर्ताओं को जोखिम भी उठाना पड़ा है।
✓अब आरबीआई सहकारी बैंकों को अन्य बैंकों की तरह ही ले रहा है। शहरी सहकारी बैंकों की सकल निष्पादित संपत्ति (NPA) 2020-21 में 11.7% रही है।
Conclusion:- अतः इन बैंकों को उचित क्रेडिट मूल्यांकन करने के लिए यह देखना जरूरी है कि उनके पास ऋण की वसूली का उपाय है या नहीं। एक सुदृढ जोखिम प्रबंधन योजना और आंतरिक लेखा परीक्षा प्रक्रिया को मजबूत करके भी इन बैंकों को अपना अस्तित्व बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
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