इस भीषण काल में बुजुर्गों की देखभाल सबसे जरूरी(2022)

इस भीषण काल में बुजुर्गों की देखभाल सबसे जरूरी(2022)

✓✓ UNSC के रिपोर्ट में प्रकाशित विश्व के कुछ प्रमुख देशों में वृद्ध होती जनसंख्या की देखभाल करना बड़ी चुनौती बनी हुई है। अभी भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठा रहा है।

✓✓ किंतु यहाँ भी वृद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस चुनौती का सामना करने के लिए नीतियों की दिशा को अनुकूल करने की आवश्यकता होगी।

✓✓2015-19 में भारत की जीवन प्रत्याशा दर 69.7 वर्ष रही है। 72.6 वर्ष के वैश्विक औसत की तुलना में अभी भी यह कम है।

✓✓जीवन प्रत्याशा में सुधार के लिए स्वास्थ्य देखभाल तंत्र को दुरूस्त रखना, स्वास्थ्य सेवा तक सुगम पहुँच बनाना और बीमारी की रोकथाम के उपायों को बढ़ाया जाना चाहिए।

✓✓असिस्टेड लिविंग या जीने के लिए सहायता की जरूरत वाले बुजुर्गों के लिए रिटायरमेंट होम्स की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए।

✓✓पेंशन योजनाओं और बीमा पॉलिसी की व्यापकता जैसी कल्याणकारी योजनाओं की जरूरत है।

✓✓भारत का युवा इसका भविष्य हो सकता है, लेकिन बढ़ती उम्र वाली वर्तमान और निकट भविष्य वाली आबादी के लिए आवश्यक सहयोग जरूर जुटाया जाना चाहिए।

✓✓आखिरकार युवाओं को भी अपने भविष्य को सुखद बनाए रखने के लिए इन नीतियों की जरूरत होगी।

✓✓यहाँ सवाल यह उठता है कि इस प्रकार की रिपोर्ट या सूचकांक भारत के अपने उद्देश्यों में आगे बढ़ने पर कितना प्रभाव डालती हैं ?

✓✓क्या सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि वह अपने प्रयासों, नीतियों योजनाओं और उनके कार्यान्वयन में आने वाली दरारों या कमियों को समय-समय पर सार्वजनिक करती रहे।

✓✓पारदर्शिता के प्रयासों और परिणामों की जानकारी सुलभ और सत्यापन योग्य हो। यह देश में बुजुर्गो के लिए बेहतर संवेदनशील तस्वीर प्रस्तुत करने में मदद करेगा।

✓✓सरकार की प्रतिक्रिया इस आधार पर भी है कि अक्सर ऐसे कई सूचकांक को निवेशक इनपुट के रूप में उपयोग में ले लेते हैं। इससे देश की छवि खराब हो सकती है।

 

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